नोएडा
एयरफोर्स से रिटायर मुकुल चंद्र जोशी वर्ष 1995 में नोएडा आए थे। नोएडा के लोग इन्हें ट्रैफिक बाबा के नाम से जानते थे। मुकुल चंद्र जोशी कैसे ट्रैफिक बाबा बने इसके पीछे एक ऐसी घटना है जिसने उनके जीवन को बादल कर रख दिया। जोशी के एक खास दोस्त के बेटे की 2003 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। वह उनका इकलौता बेटा था। मुकुल को इस हादसे में पता चला कि उसने हेलमेट नहीं लगा रखा था। बेटे की मौत के बाद उसके पिता बुरी तरह टूट गए थे। दोस्त का बुरा हाल देख मुकुल जोशी ने उस दिन से लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया। इसके बाद वह रोजाना 250 लोगों को पर्चे बांट नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करते थे। अपने खर्चे पर नोएडा के अलग-अलग स्थानों हर दिन एक घंटा लोगो को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करते थे। यातयात निरीक्षक लायक सिंह के अनुसार ट्रैफिक बाबा एक ऐसे व्यक्ति थे जो नागरिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिक का कर्त्तव्य भी समझते थे। उनका जाना एक जागरूकता अभियान के समाप्त होने जैसा है। अत्यंत दुःखद है , वो सदैव नोएडा के युवाओं और अन्य लोगों को जीवन के लिए बेहद जरूरी यातायात नियमों के पालन के प्रति अपनी असरदार शैली में प्रेरित करने हेतु नियमित जागरूकता अभियान चला रहे थे । ईश्वर नेक आत्मा को शाँति प्रदान करें ।
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