नई दिल्ली। संसद का सत्र खत्म हो गया, लेकिन राहुल जिन 6 विधेयकों को पास कराना चाहते थे, वो पास नहीं हो पाए। जिस चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है, उसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ राहुल को सबसे बड़ा चेहरा बनाने की कोशिश को झटका लगा है।
राहुल ने भ्रष्टाचार विरोधी बिलों के पास न होने का दोष विपक्ष पर मढ़ दिया है। लेकिन सरकार के पास राहुल के मेकओवर का एक मौका और है। कहा जा रहा है कि सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने वाले जिन 6 बिलों को संसद से पास नहीं करा पाई, अब उसे अध्यादेश के जरिए लाने की तैयारी है।
भ्रष्टाचार विरोधी छह अहम बिलों को पास कराने की मंशा पर पानी क्या फिरा, राहुल गांधी को नए अवतार में पेश करने की कांग्रेस की योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। सरकार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एजेंडे में शामिल भ्रष्टाचार विरोधी 6 बिलों को लेकर काफी गंभीर थी। इन बिलों में तय समय सीमा के भीतर सेवा पाने का अधिकार, शिकायतों के निवारण से जुड़ा बिल, विदेशी सरकारी अफसरों की रिश्वतखोरी के खिलाफ बिल और न्यायिक जवाबदेही बिल शामिल हैं।
सरकार की कोशिश थी कि संसद सत्र के आखिरी दिन इसे पास कराया जाए या फिर जरूरत पड़ने पर इसके लिए संसद का सत्र बढ़ाया जाए, लेकिन विपक्ष ने इनकार कर दिया। जानकारों की मानें तो इन बिलों को पास करा कर राहुल को भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा योद्धा बताने की रणनीति थी। लेकिन जब ये हो न सका, तो तमाम घोटालों के उजागर होने के वक्त चुप्पी साधने वाले राहुल बोल पड़े।
इससे बिफरे राहुल गांधी ने कहा कि मैंने 5-6 बार कहा कि बात से ज्यादा एक्शन जरूरी है लेकिन उन्होंने नहीं किया ऐसा कुछ। मुझे लगा था कि विपक्षी दल भ्रष्टाचार के खिलाफ इन बिलों को समर्थन देंगे लेकिन इन्होंने नहीं किया। ये रिएलिटी है। हमें लगा था कि ये मिलकर हिंदुस्तान को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा बिल देना चाहते हैं, लेकिन नहीं हुआ। ये भ्रष्टाचार के खिलाफ बिल है। विपक्षिय़ों ने कहा था कि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। जब बिल पास कराने का टाइम आया तो वो पीछे हट गए।
असल में राहुल के मेकओवर की जीतोड़ कोशिश हो रही है। पहली कोशिश तब हुई थी जब खुद राहुल ने कैबिनेट से पास दागियों से संबंधित अध्यादेश को बकवास बताकर उसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बता दिया था। जबकि सोनिया की अध्यक्षता वाली कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में इस फैसले को लिया गया था। अब चुनावी घमासान में राहुल को उतारने से पहले इन बिलों को अध्यादेश के जरिए लाया जा सकता है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही कांग्रेस को राहुल के महिमामंडन का मौका देना नहीं चाहती।
दूरसंचार, कॉमनवेल्थ गेम्स से लेकर कोयला घोटालों के आरोपों से जूझ रही सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव में बैकफुट पर दिख रही है। लेकिन राहुल नहीं चाहते कि वो हारी हुई सेना के सेनापति नजर आएं। सूत्रों का दावा है कि राहुल ने पार्टी के बड़े नेताओं को कुछ हिदायत दी है। उन्होंने कहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आचरण पूरा देश देखता है। छोटे नेता उसका अनुसरण करते हैं। इसलिए मीडिया से बात करते वक्त बड़े नेता एहतियात बरतें। उनकी बॉडी लैंग्वेज कमजोर नहीं दिखनी चाहिए।