नई दिल्ली। संसदीय इतिहास में कई टकराव भरे मोड़ों से गुजरने के बावजूद पंद्रहवीं लोकसभा के अंतिम सत्र का समापन शुक्रवार को बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे की जी भर कर तारीफ की। जबकि कुछ नेताओं ने सदन की स्थिति पर आत्मनिरीक्षण करने की अपील की।
शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक के अंतिम दिन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि संसदीय कार्यवाही चलाने में जो कड़वाहट पैदा हुई, वह सदस्यों की जनता और राष्ट्रीय हित के मुद्दों को उठाने की इच्छा के कारण हुई और इसे भूला दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ भी निजी नहीं था।
लोकसभा में ऐसे कई क्षण आए, जब टकराव अपने चरम पर पहुंच गया और कई शर्मनाक घटनाएं कार्यवाही में दर्ज हो गर्इं। 2012 में विपक्ष के 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग पर अड़े रहने के कारण पूरा शीतकालीन सत्र बिना किसी कामकाज के गुजर गया था।
शुक्रवार को अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और अन्य नेताओं ने एक दूसरे की खुल कर तारीफ की।
अपने विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन में महत्त्वपूर्ण कानूनों को पास करने में दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर काम करने की क्षमता रही। इस संदर्भ में उन्होंने तेलंगाना विधेयक का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उम्मीद के एक नए माहौल का जन्म होगा जो देश को ‘इस तनावपूर्ण माहौल से’ बाहर ले जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि देश को नए मार्ग पर ले जाने के लिए एक ‘नई आम सहमति की भावना’ उभरेगी।