ब्यूरो/ मुंबई
अलग-अलग सर्विस प्रवाइडर्स के मोबाइल वॉलिट यूज करने वालों को भी जल्द ही आपस में फंड ट्रांसफर की सुविधा मिल सकेगी। भारतीय रिजर्व बैंक नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के ऐसे ही एक प्रपोजल पर विचार कर रहा है। NPCI ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि मोबाइल वॉलिट प्रवाइडर्स या प्रीपेड पेमेंट इश्यूअर्स के बीच इंटर-ऑपरेटिबिलटी होने पर कस्टमर्स को फायदा होगा। NPCI के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ ए पी होता ने कहा कि इससे कैशलेस ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा मिलेगा।
मोबाइल वॉलिट यानी एम वॉलिट के जरिए यूज़र्स एक वर्चुअल वॉलिट में पैसा जमा करके रख सकते हैं। यह सेविंग्स अकाउंट की तरह होता है और इसका यूज वॉलिट के साथ टाईअप वाले मर्चेंट्स को पेमेंट करने में भी किया जा सकता है। देश में बहुत से बैंक जैसे ICICI बैंक के ‘पॉकेट’ के अलावा पेटीएम और मोबिक्विक जैसे पीपीआई के ई वॉलिट चल रहे हैं। अभी कस्टमर्स एम वॉलिट से यूटिलिटी बिल पेमेंट कर सकते हैं, मोबाइल फोन रिचार्ज करा सकते हैं और ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। लेकिन कस्टमर्स एम वॉलिट के जरिए पैसे निकाल नहीं सकते और न ही किसी दूसरे बैंक या पीपीआई में ट्रांसफर कर सकते हैं।