नई दिल्ली, ब्यूरो। बिहार और झारखंड में अपनी राजनीतिक कौशल की बानगी पेश कर चुके धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम मंत्रालय में भी कुछ ऐसा ही कर गुजरने की मंशा रखते हैं। मंगलवार को नए पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद संभालने के लिए शास्त्री भवन पहुंचे। उस वक्त मंत्रालय और सरकारी तेल कंपनियों के आधा दर्जन अधिकारियों का जत्था उनके समक्ष इतने ही प्रजेंटेशन पेश करने की तैयारियों के साथ आया हुआ था। मंत्रालय के अधिकारियों के साथ अपनी पहली बातचीत में प्रधान ने बगैर किसी लाग-लपेट के कहा कि उन्हें हर मुद्दे को एक-एक कर विस्तार से बताएं।
नए पेट्रोलियम मंत्री ने प्रेस के साथ पहली चर्चा में इसके संकेत दिए कि उनकी नीतियों में आम जनता व गरीबों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। हालांकि उनके समक्ष जो प्रेजेंटेशन पेश किए गए, उनमें मूल्य वृद्धि की जरूरत को अहम बताया गया। प्रधान ने पेट्रोलियम मूल्य वृद्धि के तरीके और इसके पीछे की गणित को समझने की पूरी कोशिश की। इसके अलावा उन्हें मंत्रालय के समक्ष मौजूदा अन्य मुद्दों के बारे में भी बताया गया। इनमें गैस कीमत का मुद्दा भी शामिल है। प्राकृतिक गैस कीमत के बारे में सरकार को बहुत जल्द फैसला करना होगा। कैबिनेट के पास जल्द जाने वाले कई अहम मुद्दों पर भी उन्हें ब्रीफिंग दी गई।
प्रधान से जब गैस कीमत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे इस बात का अहसास है कि पेट्रोलियम मंत्री का काम आसान नहीं होता। लेकिन मुझे चीजों को पूरी तरह से समझने दीजिए, उसके बाद ही मैं कोई राय दे पाउंगा। हां, मैं यह विश्वास से कह सकता हूं कि मोदी जी ने भाजपा की जीत का श्रेय गरीबों को दिया है। यह सरकार गरीबों के हितों को बेहतर बनाने के लिए ही काम करेगी।” जब उनसे डीजल कीमत में हर महीने होने वाली 50 पैसे की वृद्धि के बारे में पूछा गया, तब भी उन्होंने यही जबाब दिया कि सरकार सिर्फ गरीबों के लिए काम करेगी। हालांकि, इसका मतलब उन्होंने नहीं समझाया।