National

‘गुलाब गैंग’ की याचिका पर सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

madhuri-gulabi-gang2

दिल्ली एजेंसी,

दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘गुलाब गैंग’ फिल्म के निर्माताओं की अपील को सुनने पर सहमति दे दी है जिन्होंने अदालत द्वारा फिल्म को रिलीज किए जाने पर इस आधार पर स्थगनादेश दे दिया था कि यह फिल्म कार्यकर्ता संपत पाल की जिंदगी और उनके संगठन गुलाबी गैंग पर आधारित है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बी डी अहमद और न्यायाधीश एस मदुल की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर द्वारा निर्माताओं का पक्ष रखे जाने पर आज दिन में इस याचिका पर सुनवाई करने की सहमति दी। नायर ने अदालत के समक्ष फिल्म के निर्माता सहारा वन मीडिया एंड एंटरटेनमेंट लिमिटेड का पक्ष रखा।

अदालत ने कहा कि वह निर्माताओं द्वारा उसके समक्ष मुकदमे की सीडी तथा अन्य दस्तावेज रखे जाने के बाद याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत ने कागजरहित इलैक्ट्रोनिक अदालत होने के कारण मुकदमे की सीडी मांगी है।

एकल न्यायाधीश द्वारा फिल्म की राष्ट्रीय रिलीज पर आठ मई तक स्थगनादेश दिए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए निर्माताओं ने खंडपीठ से संपर्क किया था। माधुरी दीक्षित और जूही चावला अभिनीत यह फिल्म थियेटरों में शुक्रवार को रिलीज की जाने वाली थी। पाल ने दावा किया कि फिल्म उनके गुलाबी गैंग पर आधारित है जो उत्तर प्रदेश में महिलाओं का एक संगठन है जिसकी महिला सदस्य गुलाबी रंग की साड़ियां पहनती हैं।

न्यायाधीश संजीव सचदेव ने कल यह कहते हुए मामले की अगली सुनवाई आठ मई तक फिल्म के निर्माताओं को फिल्म की रिलीज, प्रदर्शन, वितरण और प्रमोशन करने से रोक दिया कि यदि यह रिलीज हो जाती है तो इससे संपत पाल को अपूर्णीय क्षति होगी।

एकल जज ने कहा था कि इससे हो सकता है कि निर्माताओं को नुकसान हो लेकिन पाल को वित्तीय नुकसान भी होगा और प्रतिष्ठा का भी, जिसका हिसाब धन से नहीं लगाया जा सकता क्योंकि गुलाबी गैंग संबंधी उसके कॉपीराइट का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल किया गया है।

पाल ने अपने आवेदन में दावा किया है कि फिल्म के निर्माण से पूर्व उसकी अनुमति नहीं ली गयी। साथ ही आरोप लगाया गया है कि इसमें मानहानिजनक सामग्री है जो उसकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकती है।

पाल ने आरोप लगाया कि फिल्म के प्रोमोस के अनुसार, उनका चरित्र अदा कर रही मुख्य अभिनेत्री को असामाजिक तत्व के रूप में दिखाया गया है जो अपने जीवन के असली चरित्र के विपरीत हवा में तलवार लहराती है।

फिल्म के रिलीज पर स्थगनादेश जारी करते हुए अदालत ने निर्माताओं के इन तकरे को खारिज कर दिया कि पाल को कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह अंतिम क्षणों में अदालत में आयी हैं जबकि उन्हें मार्च 2013 से ही फिल्म के निर्माण के बारे में पता था। अदालत ने कहा कि निर्माताओं के इन तकरे में कोई दम नहीं है।

अदालत ने हालांकि पाल से भी सवाल किया कि वह अंतिम क्षणों में क्यों अदालत में आयी हैं। अदालत ने कहा था, आपको एक महीने पहले आना चाहिए था। संगठन की स्थापना पाल ने 2006 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में की थी। इस क्षेत्र में पित सत्तात्मक संस्कृति, रूढ़िवादी जातीय बंटवारे, महिला निरक्षरता, घरेलू हिंसा, बाल श्रम, बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी बुराइयों की जड़ें बहुत गहरी हैं।

Related posts

एयरलाइंस को एनजीटी की फटकार गंदगी फैलाई तो देना होगा जुर्माना

firstopinion

आगरा में छात्रों से भरी बस पलटी एक की मौत , 40 से अधिक छात्र घायल

firstopinion

21पीसीएस अधिकरियों को मिली पदोन्नति बने आईएएस

firstopinion