नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राजनीति पर बोलने के लिए हमेशा संसद पटल को प्राथमिकता दी है, लेकिन पिछले पांच सालों में संसद ने उन्हें बोलने का समुचित मौका नहीं दिया है। यह बात यहां शुक्रवार को प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने कही।
पचौरी ने कहा कि पिछले दो साल में समाचार चैनलों ने 25 फीसदी राजनीतिक विषयक सामग्री प्रसारित की है। इसके अलावा करीब 10 फीसदी मनोरंजन और इतनी ही खेल को जगह दी गई है। लेकिन ये ऐसे विषय हैं, जिस पर प्रधानमंत्री अधिक नहीं बोलते।
पचौरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राजनीति पर बोलने के लिए उन्होंने सदन पटल को अधिक प्राथमिकता दी है, लेकिन पिछले पांच सालों में संसद ने उन्हें बोलने का पर्याप्त मौका नहीं दिया है। पचौरी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री किसी विषय पर बोलते नहीं हैं, लेकिन मीडिया में सामग्री की विविधता के कारण उनका संदेश मजबूती के साथ नहीं आ पाता है, जितनी मजबूती से इसे रखा जाना चाहिए, लेकिन अपने देश में मीडिया स्वतंत्र है।
उन्होंने साथ ही कहा कि विकास संबंधी जिन विषयों पर प्रधानमंत्री ने बोला है, उनकी चर्चा टेलीविजन चैनल में कम और प्रिंट मीडिया में अधिक हुई है। प्रधानमंत्री हर तीसरे दिन एक स्पीच देते हैं। हमारी वेबसाइट में ऐसी करीब 1600 प्रेस रिलीज पड़ी हैं। लेकिन जब हम उनका विश्लेषण करते हैं तो उनमें से जो स्पीच हैं वो कृषि, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था को लेकर हैं। 80-85 फीसदी स्पीच ऐसे विषयों पर हैं उनको न्यूज मीडिया 2 फीसदी तक ही कवर करता है। प्रिंट मीडिया फिर भी ज्यादा करता है।
पचौरी ने कहा कि आज का जो भारत है वो पिछले 10 साल में हासिल हुआ है। जिस तरह की हमारी आर्थिक ग्रोथ रही है मानवता के इतिहास में ऐसी किसी देश की नहीं रही। मीडिया और पीएमओ के बीच कम्युनिकेशन पिछले दो साल में बढ़ा है। पिछले 10 साल में हमारी जीडीपी तीन गुना हो गई है। दक्षिण एशिया में पीएम का कोई सानी नहीं है।
पचौरी ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री नेताओं या प्रेस के हर ट्वीट का जवाब नहीं दे सकता। हमें तथ्यों की जांच करनी होती है और तभी टिप्पणी करते हैं। पचौरी ने कहा कि पीएम अब तक चार सभाएं कर चुके हैं। 24 अप्रैल को वो वोट देने के लिए असम में होंगे। पचौरी ने कहा कि मैं संजय बारू की तरह कोई किताब लिखने नहीं जा रहा। मुझे ऑफर किया गया था लेकिन मैंने मना कर दिया।
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