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कहीं रंग तो नहीं बदल रही आपकी त्वचा!

त्वचा पर होने वाले बदलाव कई बार दिखने में तो छोटे लगते हैं, लेकिन हो सकता है यह त्वचा के कैंसर का संकेत हों। त्वचा पर रैशेज, तिल या बर्थ माक्र्स में होने वाले बदलावों को हल्के में न लें, ये त्वचा के कैंसर का इशारा भी हो सकते हैं। जरूरत है समय पर सचेत हो जाने की। विशेषज्ञों से बातचीत कर इसके बारे में बता रही हैं नीलम शुक्ला

हमारे देश में त्वचा कैंसर जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से इसके नए-नए प्रकार सामने आ रहे हैं। पहले सिर्फ त्वचा कैंसर मेलेनोमा के बारे में ही सुनने को मिलता था, लेकिन अब डॉक्टरों को इसके और भयानक रूपों के बारे में पता चला है। एम्स में ऑन्कालॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पी. के. जुल्का के अनुसार, गोरे लोगों में त्वचा कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है। अधिक समय तक धूप में रहना त्वचा के लिए नुकसानदायी होता है और इससे ऊतक भी प्रभावित होते हैं।

क्या है त्वचा कैंसर
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ
डॉ. रमेश सरीन की मानें तो त्वचा कैंसर में त्वचा की कोशिकाएं जरूरत न होने पर भी नई कोशिकाओं में बदलती रहती हैं। पुरानी कोशिकाओं का नई कोशिकाओं में बदलना शरीर के लिए सामान्य बात है, लेकिन जरूरत न होने पर भी त्वचा की कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं तो त्वचा कैंसर हो सकता है।

त्वचा कैंसर के लक्षण
* त्वचा पर रैशेज, तिल या अन्य बर्थ माक्र्स में होने वाले बदलाव त्वचा कैंसर का लक्षण हो
सकते हैं।
* त्वचा पर चार हफ्तों से ज्यादा समय से धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं।
* एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है। यदि यह समस्या कोहनी, हथेली या घुटनों पर दिखे तो लापरवाही न बरतें।
* त्वचा पर बहुत अधिक लाली और जलन भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकते हैं।
* माथे, गाल, ठुड्डी और आंखों के आसपास की त्वचा लाल हो और उसमें खूब जलन हो तो यह त्वचा कैंसर हो सकता है।

क्या है कारण
डॉक्टरों और शोधकर्ताओं का मानना है कि त्वचा के अधिक समय तक सूरज की किरणों के सीधे संपर्क में आने से भी त्वचा का कैंसर हो सकता है। धूप में ज्यादा रहने वाले लोग बेसल सेल कार्सिनोमा कैंसर का अधिक शिकार होते हैं। साफ है कि अगर आप अधिक समय तक धूप में रहते, बोटिंग करते या तैरते हैं तो भी आपके लिए सूरज की किरणों से अपना बचाव करना आवश्यक है। जिनकी त्वचा गोरी हो, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।

कठिन नहीं है इलाज
बेसल सेल और स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का इलाज मामूली सर्जरी द्वारा और त्वचा की सतह का इलाज दवाओं  द्वारा किया जा सकता है। सर्जरी विकिरण या रसायन चिकित्सा के बाद की जाती है। सर्जरी शरीर में ऊतकों के एक क्षेत्र को नष्ट कर सकती है।

ऊर्जा किरणों और कणों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। विकिरण उपचार शरीर के बाहर केंद्रित रहते हैं और त्वचा के कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी के साथ प्राथमिक उपचार भी किया जाता है।

रेडिएशन से भी इलाज संभव है। रेडिएशन से इलाज में कैंसर के ऑपरेशन की कोई जरूरत नहीं होती। टय़ूमर को ठीक करने के लिए सीधे एक्स-रे किरणें उस पर डाली जाती हैं। इसके लिए मरीज को बेहोश भी नहीं करना पडम्ता, जबकि टय़ूमर को समाप्त करने के लिए लंबे उपचार की आवश्यकता होती है। एक सप्ताह के दौरान ही कई बार इसकी देख-रेख करनी पड़ती है। सफल इलाज का प्रतिशत 85 से 95 प्रतिशत तक है।

इन बदलावों पर नजर रखें
* जब बर्थ माक्र्स का आकार बढ़ने लगे, रंग बदलने लगे, इस पर खुजली हो या खून निकले तो डॉक्टर से जरूर मिलें। यह त्वचा के कैंसर का शुरुआती दौर हो सकता है।
* त्वचा पर अगर धब्बे चार हफ्तों से ज्यादा बने रहें तो यह त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकता है। इसमें जलन हो या खून बहे तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
* एक्जिमा यानी खाज भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है।
* त्वचा पर बहुत अधिक लाली और जलन हो तो यह भी इस कैंसर का लक्षण है।

क्या कहते हैं आंकड़े
55 हजार से ज्यादा लोग दुनिया भर में हर साल त्वचा कैंसर से मरते हैं।
50 भारतीयों को हर रोज त्वचा कैंसर होता है एक शोध के अनुसार।
09 लाख कैंसर के नए मरीजों की पुष्टि होती है भारत में हर वर्ष।
02 प्रतिशत कैंसर त्वचा के होते हैं तमाम कैंसरों में एम्स की रिपोर्ट के अनुसार।

तीन तरह के त्वचा कैंसर

स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा त्वचा की ऊपरी परत को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा कैंसर त्वचा के असुरक्षित, दीर्घकालिक सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से होता है। ये आम तौर पर उन लोगों में पाया जाता है, जो ज्यादा समय धूप में बिताते हैं। विशेष रूप से गोरे और नीली आंखों वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है। कभी-कभी कैंसर धूप से क्षतिग्रस्त त्वचा के भीतर एक खराब पैच की तरह विकसित होता है, जो सफेद, गुलाबी, पीला या भूरे रंग का होता है।

मेलेनोमा कैंसर
यह कैंसर सबसे कम देखने को मिलता है, लेकिन यह सबसे घातक हो सकता है। अगर इसका उपचार नहीं किया जाता तो यह शरीर के अन्य भागों में फैलता है, जिससे हालत बहुत गंभीर हो सकती है। इसका खतरा उन लोगों को अधिक होता है, जिन्हें बुरा सनबर्न हो गया हो। इस कैंसर में व्यक्ति गले में सूजन या खुजली महसूस कर सकता है। यह शरीर पर कहीं भी प्रकट हो सकता है।

बेसल सेल कैंसर
धूप में ज्यादा रहने वाले लोग बेसल सेल कैंसर का अधिक शिकार होते हैं। आर्सेनिक या कुछ औद्योगिक प्रदूषकों के संपर्क में भी रहने से कभी-कभी बेसल सेल कैंसर हो सकता है।

इलाज से बेहतर बचाव
त्वचा कैंसर एक गंभीर रोग है, जिसकी सही जानकारी और इसके प्रति गंभीर सोच बचाव का सबसे कारगर उपाय है। हालांकि इस समस्या से बचने के लिए कुछ अन्य सावधानियां भी बरती जा सकती हैं।

पराबैंगनी किरणों से बचाव
सूरज की पराबैंगनी किरणें शरीर के भीतर जाकर कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना को बदल सकती हैं। इस कारण त्वचा का कैंसर हो सकता है। इसलिए तेज धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें। कुछ समय पूर्व ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया था कि सनस्क्रीन द्वारा न सिर्फ सनबर्न से त्वचा की सुरक्षा होती है, बल्कि यह तीन प्रकार के त्वचा कैंसरों से लड़ने वाली सुपरहीरो जीन की भी रक्षा करने में सक्षम होता है। यूवीए किरणें त्वचा के पिग्मेंटेशन को बढ़ाती हैं, जबकि यूवीबी किरणें टैनिंग और स्किन कैंसर का कारण बनती हैं।

खानपान है मददगार
विटामिन डी की सही मात्रा लें। यह त्वचा को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचा कर कैंसर के खतरे को कम करता है। चाय पिएं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट यौगिक त्वचा को हानिकारक किरणों से बचाते हैं। ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनल भी स्किन कैंसर से बचाव करता है। टमाटर और अंगूर भी नियमित रूप से खाएं। त्वचा पर तेल की मालिश करें। बादाम और नारियल के तेल में प्राकृतिक तौर पर एसपीएफ होता है। रसभरी के बीज के तेल में एसपीएफ 30 तथा गेहूं के तेल में विटामिन ई होता है, जो आपको एसपीएफ 20 प्रदान करता है।

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