Astrology

ज्योतिष में चन्द्रमा का महत्त्व —

भारतीय वैदिकज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व दिया जाता है तथा व्यक्ति के जीवन से लेकर विवाह और फिर मृत्यु तक बहुत सेक्षेत्रों के बारे में जानने के लिए कुंडली मेंचन्द्रमा की स्थिति का ध्यानपूर्वक अध्ययन करनाआवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति के जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित हों, उसी नक्षत्र को उस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र माना जाता है जिसके साथ उसके जीवन के कई महत्त्वपूर्णतथ्य जुड़े होते हैं जैसे कि व्यक्ति का नाम भी उसकेजन्म नक्षत्र के अक्षर के अनुसार ही रखा जाता है।

भारतीय ज्योतिष परआधारित दैनिक, साप्ताहिक तथा मासिक भविष्य फल भी व्यक्ति की जन्म के समय की चन्द्र राशि के आधार पर ही बताएजाते हैं। किसी व्यक्ति के जन्म के समयचन्द्रमा जिस राशि में स्थित होते हैं, वह राशि उस व्यक्ति की चन्द्र राशि कहलाती है। भारतीय ज्योतिष में विवाहसंबंधित वर-वधू के आपस में तालमेल को परखनेके लिए प्रयोग की जाने वाली कुंडलीमिलान कीप्रणाली में आम तौर पर गुण मिलान को ही सबसे अधिक महत्त्व दिया जाता है जो कि पूर्णतया वर-वधू की कुंडलियों में चन्द्रमा कीस्थिति के आधारित होता है। वैदिक ज्योतिष के एकमत के अनुसार विवाह दो मनों का पारस्परिक मेल होता है तथाचन्द्रमा प्रत्येक व्यक्ति के मन का सीधा कारक होने के कारण इस मेल को देखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानेजाते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय ज्योतिष मेंप्रचलित गंड मूल दोष भी चन्द्रमा की कुंडली मेंस्थिति से ही देखा जाता है तथा वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रभाव डालने वालीं विंशोत्तरी दशाएं भीव्यक्ति की जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थितिके अनुसार ही देखीं जातीं हैं। इस प्रकार चन्द्रमा का भारतीयज्योतिष के अनेक क्षेत्रों में बहुत महत्त्व है तथा कुंडली में इस ग्रह की स्थिति को भली-भांति समझना आवश्यकहै।

चन्द्रमा एक शीत औरनम ग्रह हैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए इन्हें स्त्री ग्रह माना जाता है। चन्द्रमा प्रत्येक व्यक्ति की कुंडलीमें मुख्य रूप से माता तथा मन के कारक मानेजाते हैं और क्योंकि माता तथा मन दोनों ही किसीभी व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्त्व रखते हैं, इसलिएकुंडली में चन्द्रमा की स्थिति कुंडली धारक केलिए अति महत्त्वपूर्ण होती है। माता तथा मन केअतिरिक्त चन्द्रमा रानियों, जन-संपर्क के क्षेत्र मेंकाम करने वाले अधिकारियों, परा-शक्तियों के माध्यम से लोगों का उपचार करने वाले व्यक्तियों, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ेव्यक्तियों, होटल व्यवसाय तथा इससे जुड़े व्यक्तियों तथा सुविधा और ऐशवर्य से जुडे ऐसे दूसरेक्षेत्रों तथा व्यक्तियों, सागरों तथा संसार में उपस्थित पानी की छोटी-बड़ी सभी इकाईयों तथा इनके साथ जुड़े व्यवसायों और उन व्यवसायों को करने वालेलोगों के भी कारक होते हैं।

किसी व्यक्ति कीकुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चन्द्रमा की स्थिति अति महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि चन्द्रमा सीधे तौर सेप्रत्येक व्यक्ति के मन तथा भावनाओं कोनियंत्रित करते हैं। चन्द्रमा वृष राशि में स्थितहोकर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं तथा इस राशि में स्थित चन्द्रमा को उच्च का चन्द्रमा कहा जाता है। वृष के अतिरिक्त चन्द्रमा कर्कराशि में स्थित होने से भी बलवान हो जाते हैंजो कि चन्द्रमा की अपनी राशि है। चन्द्रमा के कुंडली मेंबलशाली होने पर तथा भली प्रकार से स्थित होने पर कुंडली धारक स्वभाव से मृदु, संवेदनशील, भावुक तथा अपने आस-पास के लोगों से स्नेह रखने वाला होता है। ऐसे लोगों को आम तौर पर अपने जीवनमें सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिएअधिक प्रयास नहीं करने पड़ते तथा इन्हें बिनाप्रयासों के ही सुख-सुविधाएं ठीक उसी प्रकार प्राप्त होती रहतीं हैं जिस प्रकार किसी राजा की रानी को केवल अपने रानी होने के आधारपर ही संसार के समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हो जातेहैं।

क्योंकि चन्द्रमामन और भावनाओं पर नियत्रण रखते हैं, इसलिए चन्द्रमा के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक आम तौर पर भावुक होने के कारणआसानी से ही आहत भी हो जाते हैं। स्वभाव से ऐसेलोग चंचल तथा संवेदनशील होते हैं तथाअपने प्रियजनोंका बहुत ध्यान रखते हैं और उनसे भी ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं तथा इस अपेक्षा के पूर्ण न होने की हालत में शीघ्र ही आहत होजाते हैं। किन्तु अपने प्रियजनों के द्वारा आहतहोने के बाद भी ऐसे लोग शीघ्र ही सबकुछ भुला कर फिर से अपनेसामान्य व्यवहार में लग जाते हैं। चन्द्रमा के प्रबल प्रभाव वाले जातक कलात्मक क्षेत्रों में विशेष रूचिरखते हैं तथा इन क्षेत्रों में सफलता भीप्राप्त करते हैं। किसी कुंडली में चन्द्रमा का विशेष शुभ प्रभाव जातक को ज्योतिषि, आध्यात्मिक रूप से विकसित व्यक्ति तथा परा शक्तियों का ज्ञाता भी बना सकता है।

चन्द्रमा मनुष्य केशरीर में कफ प्रवृति तथा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा शरीर के अंदर द्रव्यों की मात्रा, बल तथा बहाव को नियंत्रित करते हैं। चन्द्रमा के प्रबल प्रभाव वाले जातक सामान्य सेअधिक वजनी हो सकते हैं जिसका कारण मुख्यतौर पर चन्द्रमा का जल तत्व पर नियंत्रण होना ही होता है जिसके कारण ऐसे जातकों में सामान्य से अधिक निद्रालेने की प्रवृति बन जाती है तथा कुछेक जातकोंको काम कम करने की आदत होने से या अवसर ही कम मिलने के कारण भीउनके शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे जातकों को आम तौर पर कफ तथा शरीर के द्रव्यों से संबंधितरोग या मानसिक परेशानियों से सम्बन्धित रोगही लगते हैं।

कुंडली मेंचन्द्रमा के बलहीन होने पर अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर दूषित होने पर जातक की मानसिक शांति पर विपरीत प्रभावपड़ता है तथा उसे मिलने वाली सुख-सुविधाओंमें भी कमी आ जाती है। चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होकर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडलीमें अपनी स्थिति विशेष और अशुभ ग्रहों केप्रभाव के कारण भी चन्द्रमा बलहीन हो जाते हैं।किसी कुंडली में अशुभ राहु तथा केतु का प्रबल प्रभाव चन्द्रमा को बुरी तरह से दूषित कर सकता है तथा कुंडली धारक को मानसिक रोगों सेपीडि़त भी कर सकता है। चन्द्रमा पर अशुभग्रहों का प्रभाव जातक को अनिद्रा तथा बेचैनी जैसी समस्याओं से भी पीडि़त कर सकता है जिसके कारण जातक कोनींद आने में बहुत कठिनाई होती है। इसकेअतिरिक्त चन्द्रमा की बलहीनता अथवा चन्द्रमा पर अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण विभिन्न प्रकार के जातकों कोउनकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा के अधिकार मेंआने वाले क्षेत्रों से संबंधित समस्याएं आसकती हैं।

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