शनि की साढेसाती (Shani Sade Sati) व ढैया (Shani Dhaiya) के आर्थिक मामलों के लिए अच्छा नही समझा जाता है. इसके अतिरिक्त शनि की एक और स्थिति है जो आर्थिक स्थिति के सबसे अधिक प्रभावित करती है. जिसे पंचम शनि (Pancham Shani) के नाम से जाना जाता है.
कुण्डली मे चन्द्र से पांचवे घर मे शनि के गोचर करने के पंचम शनि (Pancham Shani) का नाम दिया गया है.
सामान्य रुप से कुण्डली पांचवे घर क उच्च शिक्षा, संतान व प्रेम प्रसंग का घर माना जाता है. ज्योतिषिय अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है की आर्थिक रुप से देखने पर शनि की साढेसाती (Shani Sade Sati) व ढैया (Shani Dhaiya) से भी अधिक कष्टकारी है शनि का चन्द्र से पांचवे घर पर गोचर करना है.
पांचवे घर मे शनि को इसलिए आर्थिक रुप से अच्छा नही समझा जाता है. क्योंकी पांचवे घर से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से सांतवे घर के देखते है. जो साझेदारी व्यापार का घर है. शनि के देखने से इस घर से मिलने वाले शुभ फलों मे कमी आती है. और साझेदारी व्यापार लाभ के स्थान पर हानि देने की स्थिति मे आ जाता है.
शनि की सांतवी दृष्टि ग्यारहवे घर जिसे आय का घर कहते है. पर होने से व्यक्ति की आय मे कमी होती है. आय रुक रुक कर आती है. तथा बडे भाईयों से भी संबध खराब होते है. व्यक्ति के अपनी मेहनत का पूरा फल न मिल पाने के कारण व्यक्ति निराशा मे घिर जाता है. और अपनी मेहनत मे कमी करने लगता है. जो उसकी बर्बादी की पहली सीढी बनता है.
पांचवे घर पर शनि के गोचर मे शनि अपनी दसंवी दृष्टि से दूसरे घर के देखता है. दूसरा घर धन का घर है. इससे व्यक्ति के संचय के देखा जाता है. इस घर मे शनि के गोचर से पूरे ढाई साल तक व्यक्ति के धन प्राप्ति की संभावनाएं मात्र स्वपन बनकर रह जाती है.
यह भी देखने मे आया है की ढाई वर्ष के समाप्त होते होते व्यक्ति ऋण के नीचे इस कदर दब जाता है की स्थिति चिन्ताजनक हो जाती है. जिस प्रकार शनि की साढेसाती (Shani Sade Sati) व ढैया (Shani Dhaiya) की अवधि आर्थिक मामलों के लिए लाभ दायक भी हो सकती है . उसी प्रकार पंचम शनि (Pancham Shani) भी लाभ दायक हो सकते है. परन्तु शनि से मात्र लाभ की कामना करना दिन मे तारे तलाशने के समान है.