ल्यूपस एक घातक बीमारी है जो शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है, इसका असर एक बार में नहीं होता बल्कि यह शरीर के अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है। चिकित्सकों को अभी तक इस बीमारी के प्रमुख कारणों का पता नहीं चल पाया है। ल्यूपस के मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता उसके अपने ही अंगों के लिए नुकसानदेह साबित होती है।
मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है जिसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ता है। इसके लक्षणों के आधार पर ही इस बीमारी का पता चलता है। जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, श्वांस लेने में तकलीफ, पैरों में सूजन, आंखों के आसपास काले घेरे, मुंह में अल्सर, जल्द थकान आ जाना, चेहरे पर लाल चकत्ते, बाल झड़ना, तेज ठंड लगना जैसे सामान्य संकेत ही इस बीमारी के आम लक्षण हैं। आइए हम आपको इसके बचने के कुछ टिप्स बताते हैं।
ल्यूपस से बचाव
लाइफस्टाइल
ल्यूपस जैसी खतरनाक बीमारी के लिए हमारी जीवनशैली भी जिम्मेदार है। हमारे आसपास के वातावरण के कारण भी ल्यूपस हो सकता है। इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाइए और इस खतरनाक बीमारी के होने की संभावना को कम कीजिए।
सूर्य की किरणें
सूर्य की पराबैगनी किरणें कई प्रकार की त्वचा के रोग के लिए जिम्मेदार हैं, उनमे से एक है ल्यूपस। इसलिए सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से बचिये। यदि बाहर जा रहे हैं तो ऐसा कपड़ा पहनिये जो आपके पूरे शरीर को ढके या छाते का प्रयोग कीजिए। इसके अलावा आप सनस्क्रीन लोशन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
कृत्रिम रोशनी
सूर्य की किरणों के अलावा मानव निर्मित कृत्रिम रोशनी से भी पराबैंगनी किरणें निकलती हैं, इसलिए इनसे भी बचने की जरूरत है। घर और स्ट्रीट लाइटों में लगे फ्लोरिसेंट लाइट बल्ब से निकली पराबैंगनी किरणें भी ल्यूपस का कारण बन सकती हैं, इसलिए इन लाइटों से दूर रहकर आप ल्यूपस से बचाव कर सकते हैं।
पारिवारिक इतिहास
ल्यूपस को आनुवांशिक बीमारी माना जा रहा है, लेकिन अभी तक इसके लिए जिम्मेदार जीन का पता नहीं चल पाया है। हालांकि ल्यूपस की समस्या कुछ परिवारों में ही होती है। जुड़वा बच्चों में यदि किसी एक बच्चे को ल्यूपस है तो दूसरे बच्चे को भी इस बीमारी के होने की संभावना बनी रहती है। हालांकि कुछ शोंधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि हृयूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन जीन में गड़बड़ी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। इसलिए यदि आपके परिवार में भी किसी को यह रोग है तो सजग रहें।
सामान्य संक्रमण
यदि शरीर के किसी हिस्से में संक्रमण हुआ है तो उसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें, यह ल्यूपस कारण हो सकता है। यदि आपके शरीर के किसी भी हिस्से में चोट लगी है तो उसका र्इलाज करें। क्योंकि यह संक्रमण ही फैलकर ल्यूपस का कारण बन सकता है।
पहले की सर्जरी
यदि आपके शरीर में किसी भी प्रकार की सर्जरी हो चुकी है तो वह ल्यूपस का कारण बन सकता है। महिलाओं को यदि सिजेरियन हुआ है तो उनको भी यह बीमारी हो सकती है। इसलिए सर्जरी के बाद ध्यान रखने की जरूरत है।
अन्य तरीके
ल्यूपस पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में 15-40 साल के लोग ही इससे ग्रस्त होते हैं। कुछ जाति विशेष में यह बीमारी ज्यादा होती है, जैसे – अफ्रीकी अमेरिकन, हिस्पैनिक्स, एशियन, पेसिफिक आइलैंड पर रहने वाले आदि।
यदि आप नियमित दिनचर्या का पालन करें, तो इस बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है। तनाव बिलकुल न लें, सकारात्मक सोचें, धूप की नुकसानदेह किरणों से बचें, इसके अलावा भी आपको यदि यह रोग हो गया है तो चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें।
- ल्यूपस शरीर के अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है।
- जोड़ों में दर्द, बुखार, पैरों में सूजन आदि हैं इसके लक्षण।
- हृयूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन जीन इसके लिए जिम्मेदार है।
- सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के संपर्क में आने से बचें।