F1 डायरी
-माल्या और मोनिशा ने की इंडियन ग्रांप्री जारी रखने की वकालत
विशेष खेल संवाददाता, ग्रेटर नोएडा
भारत में फॉर्म्युला वन रेस के भविष्य और इसके आयोजन में आती रहीं अड़चनों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। शुक्रवार दिन भर बुद्ध इंटरनैशनल सर्किट में इसी को लेकर तमाम सवाल गूंजते रहे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस पर रोक लगाने वाली रिट खारिज होने से आयोजकों ने राहत की सांस जरूर ली। लेकिन 2014 में नहीं होने के बाद अब 2015 में इसके आयोजन को लेकर भी ऊहापोह का माहौल बना हुआ था। हालांकि फॉर्म्युला वन टीमों के प्रिंसिपल चाहते हैं कि इंडियन ग्रांप्री का आयोजन भविष्य में भी होता रहे। इससे पहले कई ड्राइवर भी भारत में रेस कराए जाने पर जोर दे चुके हैं।
माल्या का भरोसा
सहारा फोर्स इंडिया के को-ऑनर विजय माल्या का कहना है कि रफ्तार का यह रोमांच 2015 में फिर से भारत लौटेगा।तीसरी इंडियन ग्रांप्री के प्रैक्टिस सेशन के बाद माल्या ने कहा,’मैंने रेस प्रमोटर जेपी ग्रुप के मालिक जेपी गौड़ से सुबह (शुक्रवार) बात की और उन्होंने मुझे भरोसा दिला कि इंडियन ग्रांप्री 2015 एफवन कैलंडर का हिस्सा होगी। अगले साल रेस नहीं होने का कारण शेड्यूल की दिक्कतों को बताया गया है। इसके आधार पर यह भरोसा करने का पूरा कारण है कि रेस भारत में लौटेगी। भारतीय होने के नाते मैं चाहूंगा कि यह भारत में लौटे।’
मोनिशा का मत
सोबेर टीम की प्रिंसिपल भारतीय मूल की मोनिशा कार्लटनबोर्न का मानना है कि यदि फॉर्म्युला वन आगे से भारत में नहीं होती है, तो इसका दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत में एफ वन पॉपुलर हो रहा है और यदि यहां पर एफवन की वापसी नहीं होती है, तो यह भारतीय फैंस के साथ अन्याय होगा। यह भारत एफवन के लिए नया देश है और इसे स्थापित करने के लिए तीन साल का समय काफी नहीं है। यूरोप की बात अलग है, क्योंकि वहां एफवन कल्चर है और कुछ साल के ब्रेक से फर्क नहीं पडेगा। लेकिन भारत को एफवन से लिंक बनाए रखना मुश्किल होगा।’
भारत में दिक्कत
फॉर्म्युला वन में किसी भी टीम की पहली महिला प्रिंसिपल बनी मोनिशा का कहना है कि भारत में काफी अड़चने हैं। उन्होंने कहा, ‘फॉर्म्युला वन खेल है। ग्लैमर और सेलिब्रिटीज के शामिल होने से यह आकर्षक जरूर बन गया है। लेकिन हमें भारत आने के लिए बहुत सारे कागजी काम करने पडते हैं, जो किसी और देश में नहीं करने होते हैं। जहां तक सरकार से कर रियायत नहीं मिलने का मसला है तो कई देशों में यह नहीं मिलती। लेकिन इस पर लगातार आ रही अड़चनें दुर्भाग्यपूर्ण है, जो हमारी समझ से परे है। हालांकि भारत में रेस होने को लेकर हमें कोई दिक्कत नहीं है और इसके नहीं होने के कारणों के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।’