भारतीय वैदिकज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर ताकत और मर्दानगी का कारक माना जाता है। मंगल प्रत्येक व्यक्ति में शारीरिकताकत तथा मानसिक शक्ति एवम मजबूती काप्रतिनिधित्व करते हैं। मानसिक शक्ति का अभिप्राय यहां पर निर्णय लेने की क्षमता और उस निर्णय पर टिके रहने कीक्षमता से है। मंगल के प्रबल प्रभाव वालेजातक आम तौर पर तथ्यों के आधार पर उचित निर्णय लेने में तथा उस निर्णय को व्यवहारिक रूप देने में भली प्रकारसे सक्षम होते हैं। ऐसे जातक सामान्यतया किसीभी प्रकार के दबाव के आगे घुटने नहींटेकते तथा इनकेउपर दबाव डालकर अपनी बात मनवा लेना बहुत कठिन होता है और इन्हें दबाव की अपेक्षा तर्क देकर समझा लेना ही उचित होता है।
मंगल आम तौर पर ऐसेक्षेत्रों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें साहस, शारीरिकबल, मानसिक क्षमता आदि की आवश्यकता पड़तीहै जैसे कि पुलिस की नौकरी, सेना की नौकरी, अर्ध-सैनिक बलों की नौकरी, अग्नि-शमन सेवाएं, खेलों में शारीरिक बल तथा क्षमता की परख करने वाले खेल जैसे किकुश्ती, दंगल, टैनिस, फुटबाल, मुक्केबाजी तथा ऐसे ही अन्यकई खेल जो बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा क्षमता की मांगकरते हैं। इसके अतिरिक्त मंगल ऐसे क्षेत्रों तथा व्यक्तियों के भी कारक होते हैं जिनमें हथियारों अथवा औजारोंका प्रयोग होता है जैसे हथियारों के बल परप्रभाव जमाने वाले गिरोह, शल्य चिकित्सा करने वाले चिकित्सक तथा दंत चिकित्सक जो चिकित्सा के लिए धातुसे बने औजारों का प्रयोग करते हैं, मशीनों को ठीक करने वाले मैकेनिक जो औजारों का प्रयोग करते हैं तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्र एवम इनमे काम करनेवाले लोग। इसके अतिरिक्त मंगल भाइयों केकारक भी होते हैं तथा विशेष रूप से छोटे भाइयों के। मंगल पुरूषों की कुंडली में दोस्तों के कारक भी होते हैंतथा विशेष रूप से उन दोस्तों के जो जातक केबहुत अच्छे मित्र हों तथा जिन्हें भाइयों के समान ही समझा जा सके।
मंगल एक शुष्क तथाआग्नेय ग्रह हैं तथा मानव के शरीर में मंगल अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा इसके अतिरिक्त मंगल मनुष्यके शरीर में कुछ सीमा तक जल तत्व का प्रतिनिधित्वभी करते हैं क्योंकि मंगल रक्त के सीधे कारक माने जाते हैं।ज्योतिष की गणनाओं के लिए मंगल को पुरूष ग्रह माना जाता है। मंगल मकर राशि में स्थित होने पर सर्वाधिकबलशाली हो जाते हैं तथा मकर में स्थित मंगलको उच्च का मंगल भी कहा जाता है। मकर के अतिरिक्तमंगल को मेष तथा वृश्चिक राशियों में स्थित होने से भी अतिरिक्त बल मिलता है जोकि मंगल की अपनी राशियां हैं।
मंगल के प्रबलप्रभाव वाले जातक शारीरिक रूप से बलवान तथा साहसी होते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा विपरीत सेविपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से कामलेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बारप्रयत्न करते रहते हैं और अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते। मंगल का कुंडलीमें विशेष प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को तर्क केआधार पर बहस करने की विशेष क्षमता प्रदान करता है जिसके कारणजातक एक अच्छा वकील अथवा बहुत अच्छा वक्ता भी बन सकता है। मंगल के प्रभाव में वक्ता बनने वाले लोगों केवक्तव्य आम तौर पर क्रांतिकारी ही होते हैं तथाऐसे लोग अपने वक्तव्यों के माध्यम से ही जन-समुदायतथा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। युद्ध-काल के समय अपनी वीरता के बल पर समस्त जगत को प्रभावित करने वालेजातक मुख्य तौर पर मंगल के प्रबल प्रभाव मेंही पाए जाते हैं।
कर्क राशि मेंस्थित होने पर मंगल बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त मंगल कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरेग्रह के प्रभाव के कारण भी कमजोर हो सकतेहैं। कुंडली में मंगल की बलहीनता कुंडली धारक की शारीरिक तथा मानसिक उर्जा पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है तथाइसके अतिरिक्त जातक रक्त-विकार संबधितबिमारियों, तव्चा के रोगों, चोटों तथा अन्य ऐसे बिमारीयोंसे पीडित हो सकता है जिसके कारण जातक के शरीर की चीर-फाड़ हो सकती है तथा अत्याधिक मात्रा में रक्त भी बह सकता है। मंगल परकिन्हीं विशेष ग्रहों के बुरे प्रभाव के कारणजातक किसी दुर्घटना अथवा लड़ाई मेंअपने शरीर काकोई अंग भी गंवा सकता है। इसके अतिरिक्त कुंडली में मंगल की बलहीनता जातक को सिरदर्द,थकान, चिड़चिड़ापन, तथा निर्णय लेने में अक्षमता जैसी समस्याओं से भी पीडि़त कर सकती है।