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आरएसएस को मुसलमानों का दुश्‍मन मानते थे पटेल, हिंदू राज के भी थे कट्टर विरोधी

digvijay_singh- नई दिल्‍ली. देश के पहले डिप्‍टी पीएम सरदार वल्लभ भाई पटेल की सियासी विरासत को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार व गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी आमने-सामने हो गए हैं। मंगलवार को एक साथ एक मंच पर आए मोदी ने जवाहरलाल नेहरू के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा तो मनमोहन ने भी जमकर पलटवार किया। कांग्रेस की ओर से बुधवार को भी मोदी पर हमले जारी रहे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि मोदी को अभी भारतीय इतिहास के बारे में और जानने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि आएसएस और बीजेपी को चाहिए कि वो मोदी को भारतीय इतिहास की जानकारी दें, ताकि वो गलतबयानी न करें।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भी मोदी पर निशाना साधा और कहा कि मोदी फासीवादी रवैया अपना रहे हैं। मोदी की इस टिप्‍पणी पर कि सरदार पटेल पहले पीएम होते तो देश की अलग तस्‍वीर होती, तिवारी ने क‍हा कि अगर आरएसएस ने पटेल से किए वादे का सम्‍मान किया होता तो आज बीजेपी में पीएम पद का अलग उम्‍मीदवार होता।
मोदी हमेशा कहते रहे हैं कि पटेल को वह सम्‍मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। इसीलिए वह गुजरात में उनकी प्रतिमा लगवाने का अभियान भी चला रहे हैं जो देश की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। स्‍वाभाविक रूप से कांग्रेस मोदी के दावों को मानने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन, इतिहास पर नजर डाला जाए तो पटेल राजनीति की उस विचारधारा के खिलाफ लगते हैं जिसकी अगुआई आज मोदी कर रहे हैं (मसलन, पटेल ने साफ तौर पर आरएसस को ऐसा संगठन माना था जिसका लक्ष्‍य ही मुसलमानों को निशाना बनाना है, विस्‍तार से आगे की स्‍लाइड में पढ़ें)। कई मुद्दों पर कांग्रेस की जो नीति है, वह भी पटेल के राजनीतिक सिद्धांतों से मेल नहीं खाती। फिर भी, कांग्रेस और बीजेपी में पटेल की राजनीतिक विरासत का फायदा उठाने की होड़ जारी है।

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