786 का अजब जुनून

 

दिल्ली हलचल, विशेष संवाददाता

दुनिया में इनसान को किसी न किसी तरह का शौक होता है। किसी को डाक टिकट जमा करने का शौक तो किसी को पुरानी किताबों को संग्रहित करने का शौक। राजधानी के जनकपुरी इलाके में रहने वाले 63 वर्षीय जहीर खान को 786 अंक वाले भरतीय नोटों को संग्रहित करने का बड़ा ही शौक है। एन सी आर हलचल से बातचीत के दौरान जहीर खान ने बताया कि 26 जनवरी 1962 में उनके गांव के स्कूल में कुश्ती की प्रतियोगिता हुई थी। उन्हें जीत हांसिल होने पर एक रुपये का नोट इनाम के तौर पर दिया था। उस नोट पर इस्लाम धर्म में शुभ माने जाने वाला अंक 786 अंकित था। फिर क्या था उन्होंने इसके बाद 786 नंबर के नोटों को जमा करना शुरू कर दिया और तब से लेकर आज तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।

1962 से कर रहे हैं संग्रह

मान्यता के अनुसार बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम का कुल जोड़ 786 होता है। उसके बाद से वह नोटों का संग्रह करने लगे। लेकिन घर कर आर्थिक स्थित ठीक न होने की वजह से वह 12 रुपये का इंतजाम कर इटावा छोड़ कर दिल्ली पहुंचे। जहां उन्होंने एक निजी फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान जहीर ने करीब 20 नोट जमा किए थे। लेकिन रखने की व्यवस्था न होने की वजह से कोई चोर उन नोटों पर हाथ साफ कर गया। इसी बीच उनकी किस्मत उन्हें 1987 में तेहरान पहुंचा दिया। लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया और इरान-इराक की जंग की वजह से मात्र छह माह में स्वदेश लौट आए। वहां जो पहली सैलरी मिली थी उस में भी एक नोट पर 786 अंकित था।

परायों के साथ अपनों का भी मिलने लगा सहयोग

उसके बाद वह जनकपुरी स्थित वष्शिठ पार्क, आरजेएड मकान नंबर-63ए में अपने परिवार के साथ रहने लगे। वह इन दिनों मायापुरी में क्रेन आपरेटर का काम करते हैं। उन्होनें बातचीत के दौरान बताया कि उनके एक बेटे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रिजर्वेशन काउंटर पर काम करते हैं। जबकि दो अन्य बेटे भी निजी कंपनियों में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे को जब भी नोट मिलता है वह पिता को संग्रहित करने के लिए दे देते हैं। उनके इस काम में उनके साथ काम करने वाले यशपाल जी और पाली जी के अलावा भी अन्य लोग हैं, जो हमेशा उनको नोट देते हैं।

अब एक ही इच्छा है, शेष

रिपोर्टर से बातचीत के दौरान जहीर खान ने बताया कि करीब ढाई-तीन लाख रुपये उन्होंने एकत्रित कर लिए हैं, जिनमें 1000 रुपये से लेकर पांच रुपये तक के नोट शामिल हैं। 1000 रुपये के 15 नोट, 500 रुपये के 80 नोट, 100 रुपये के 700 नोट, 50 रुपये के 350 नोट, 20 रुपये के 100 नोट, 10 रुपये के 500 नोट और 5 रुपये के 100 हैं। उन्होंने कहा कि एक और दो रुपये के नोट भी उनके पास थे लेकिन दुग्भायवश उन्हें चोर चोरी कर ले गया। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में देश में इसी संग्रह की वजह से उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड में दर्ज होगा। हालांकि बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि लिम्का बुक आफ रिकार्ड से जुडेÞ लोगों ने कुछ दिनों पहले उन से संपर्क भी साधा था। जहीर खान का कहना है कि रिकार्ड बन जाने के सारे नोट हुकूमत को हवाले कर देंगे। इसके बाद हुकूमत की जो मर्जी होगी। चाहे तो उसे किसी संग्रहलय में रखें या फिर जो करें।

 

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