ठोस सबूत दे भी दिए, तो अज़हर मिलेगा क्या?

पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के क़ानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया कि मसूद अज़हर की गिरफ्तारी और उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई तभी होगी जब भारत पठानकोट एयरबेस पर हमले में उनकी संलिप्तता के ठोस और स्पष्ट सबूत देगा.

गत दो जनवरी को चरमपंथियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था जिसमें सात सुरक्षाकर्मियों और छह चरमपंथियों की मौत हुई थी.

भारत का कहना है कि हमले में पाकिस्तान में मौजूद प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था.

पाकिस्तान ने कहा है कि वह इस मामले की जांच के लिए एक जांच दल भारत भेजना चाहता है और भारत ने भी इस पर हामी भरी है.

अब इस पुष्टि के बाद कि मौलाना को सुरक्षा हिरासत में लिया जा चुका है, सवाल यह उठाया जा रहा है कि अगर भारत मौलाना मसूद अज़हर के पठानकोट हमले में शामिल होने के ठोस सबूत दे देता है तो क्या उन्हें भारत के हवाले कर दिया जाएगा?

क्या इस संबंध में कानूनी विकल्प मौजूद हैं?

अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ लाल सागर बिलाल सूफ़ी का कहना है कि यह मामला इतना सीधा नहीं है, इसमें कई कानूनी पेचीदगियां हैं.

सबसे बड़ी समस्या यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कैदियों के आदान-प्रदान का कोई समझौता ही नहीं है.

सूफ़ी कहते हैं, “अब तक ऐसा बहुत कम हुआ है कि पाकिस्तान ने कैदियों के आदान-प्रदान के समझौते के बिना किसी नागरिक को दूसरे देश को दिया हो. और समझौते के बिना किसी नागरिक को भारत के हवाले करना सरकार को मुश्किल में डाल सकता है. लेकिन अगर सरकार यह राजनीतिक फैसला कर ले तो उन्हें कोई कानूनी रास्ता निकालना होगा.”

बिलाल का कहना था कि मौलाना अज़हर मसूद के ख़िलाफ़ पाकिस्तान में कोई एफआईआर नहीं है लेकिन उन्हें जिस कानून के तहत सुरक्षा हिरासत में रखा गया है इसमें उनसे पूछताछ हो सकती है.

अभी पाकिस्तान के भारत में जांच दल भेजने की बात हो रही है. पाकिस्तान की टीम भारत से क्या सबूत लाती है? क्या वह सबूत इतने ठोस होंगे कि मसूद अज़हर को सौंपने के बारे में सोचा जा सके? इसका अंदाजा तो सबूत मिलने के बाद ही लगाया जा सकता है.

बिलाल बताते हैं कि सुरक्षा हिरासत कानून के तहत तीस दिन तक सरकार किसी को हिरासत में रख सकती है. उसके बाद अदालत में इस हिरासत की वजह साबित करनी होती है. हालांकि यह अवधि को तीस दिन और बढ़ाया जा सकता है.

वह कहते हैं “इस सारे मामले में महत्वपूर्ण यह है कि भारत की ओर से दिए जाने वाले प्रमाण कानूनी रूप से कितने मजबूत हैं. वरना इस मुकदमे का हाल भी मुंबई हमलों के मुकदमे जैसा हो सकता है.”

Related posts

सीएम रेखा गुप्ता को जान से मरने की धमकी देने वाला अज्ञात कॉलर गिरफ्तार

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को मिली जान से मरने की धमकी, बढाई गई सीएम की सुरक्षा

मासूम की इलाज के दौरान मौत,कोरोना की जताई जा रही है आशंका