स्वामी दयानंद महात्मा गंाधी के दर्शन व विचार से प्रभावित आर्थिक, राजनैतिक चिंतक, किसानो,पिछडो,निर्धन,बेबस,लाचार व दलितों के मसीहा, ग्रामीण जीवन से पूर्ण परिचित, देश व देश की जनता के उत्थान के लिए संघर्षरत, अदभुत व्यक्तित्व व विलक्षण प्रतिभा के धनी, सरल हृदय श्रद्येय चैधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को गाजियाबाद जनपद के नूरपूर गांव के साधारण किसान परिवार में हुआ था।
प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से इतिहस में मास्टर डिग्री, 1926 में वकालत की डिग्री पास की। आप शुरू से कुशाग्रबुद्धि ग्रामीण पृष्ठभूमि की समझ रखने वाले निर्भिकता से अपनी बात कहने वाले नैतिक सदाचारी व ईमानदार नेता के रूप में जाने जाते हैं। 1928 में गाजियाबाद में आपने वकालत शुरू की इसी बीच 1930 में गांधीजी के “सविनय अवज्ञा आंदोलन” में नमक कानून तोडते हुए गिरफ्तारी दी 6 महीने जेल में रहे। 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर अंग्रेजो भारत छोडो आंदोलन में जेल गये। गांधी जी के करो या मरो नारे के साथ लगातार प्रचार करते रहे। डी.आई.आर में बंद हुए। एक साल जेल मे रहे, 1943 मे रिहा हुए। जेल में हीं आपने “शिष्टाचार” नामक पुस्तक लिखी तथा अंग्रेज लेखक स्टार्क के कथन को उद्घृत करते हुए कहा कि “शिष्टाचार” अंक गणित के शुन्य के समान है, चाहे वह स्वयं मूल्य न रखता हो किन्तु वह प्रत्येक अन्य गुण के मूल्य को कई गुना बढ़ाने का सामर्थ रखता है।
शिक्षा पूर्ण करने तथा गाजियाबाद में वकालत करते हुए आप जिला कांग्रेस कमेटी का गठन किया व पूर्ण मनोयोग से पार्टी के लिए कार्य किया। अपकी कार्यकुशलता से प्रभावित होकर पार्टी कार्य के लिए मेरठ भेज दिया गया। मेरठ में संगठन को खडा करने में चैधरी साहब ने पूरी शक्ति लगा दी, इसी का परिणाम रहा कि सन् 1937 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश में बागपत गाजियाबाद क्षेत्र से धारा सभा के लिए चुन लिए गये। पुनः 1938 में धारा सभा उत्तर प्रदेश जो आज की विधान सभा है निर्वाचित हुए। चैधरी साहब मंडी में बिचैलिओं द्वारा किसानों के शोषण को उजागर किया तथा रोक लगाने का कार्य किया। 1939 में कर्ज मुक्त विधेयक “धारा सभा” से पास करवाया जिससे उत्तर प्रदेश के लाखो किसान कर्ज के जाल से मुक्त हो गए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में चैधरी साहब संसदीय सचिव, राजस्व मंत्री, सूचना, विधि एवं न्याय, कृषि, वन, सिचाई और गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों में सफलता पूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन किया तथा अपनी प्रशासनिक कार्यकुशलता से उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने। उत्तर प्रदेश में चैधरी साहब पक्के इरादे दूर दृष्टि व निर्भिकता पूर्वक ऐसे उल्लेखनीय कार्य किये जिससे करोडो किसान गरीब लाभान्वित हुए। “जमींदारी उन्मूलन भूमि सुधार बिल” 1952 में पास करवाकर, इस विधेयक के पारित होने से किसान, जमींदार व बिचैलियों के शोषण से मुक्त हुए। परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी कास्तकारों को जिस जमीन में वे हल चलाते थे एक झटके में सीरदार बना दिया तथा ऐसे सीरदार जो दस गुना लगान सरकारी खजाने में जमा कर दिये भूमीधर (खेत के मालिक) बन गए। 1953 में चकबंदी कानून पास करवाकर किसान की दूर दराज पडी जमीन को एक जगह कर दिया। जिससे किसान, मजदूर को काम करने में सरलता हुई। अन्न का उत्पादन बढने से देश व उत्तर प्रदेश की जनता को लाभ हुआ। जमींदारी उन्मूलन से उन गरीबों को लाभ हुआ वे जहां रह रहे थे जहां उनके पेड व कुंए थे वह उनकी हो गई तथा आबादी दर्ज हो गई। उन्हें अपना घर बनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई, बिचैलिओं के शोषण से न केवल किसान मुक्त हुए बल्कि गांव में रहने वाले धनहीन जातिया दलित अति पिछडे़ भी लाभांन्वित हुए। चैधरी चरण सिंह जी ने दूसरा महत्वपूर्ण एतिहासिक कार्य “पिछडी जातियों में राजनीतिक चेतना पैदा कर” उन सोते हुए लोगों को जगाकर राजनीति में भागीदारी दिलवाकर सत्ता का नया केन्द्र स्थापित किया। जिसका परिणाम कई प्रदेशों में अति पिछडे, पिछडे और दलितों का कब्जा हो गया तथा कई प्रदेशों में मुख्यमंत्री भी बनें। आज वे लोग राजनीति की मुख्य धारा में आ गए तथा राजनीति में रहकर प्रदेश व देश के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर रहे हैं।
चैधरी चरण सिंह के उपरोक्त कार्य की सराहना बहुसंख्यक जनता में हुई लेकिन अभिजात्य वर्ग उनका इसलिए विरोधी हो गया कि एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेकर चैधरी चरण सिंह ने इतना बडा कार्य कर दिया जो विश्व के इतिहास में मील का पत्थर बना। चैधरी साहब का सराहनीय कार्य उन लोगों को अच्छा नहीं लगा। वे लोग चैधरी चरण सिंह के विरोध में खडे हो गये तथा दुष्प्रचार में लग गए। लेकिन लौहपुरूष चैधरी चरण सिंह इससे विचलित नहीं हुए तथा उनका जवाब देने के लिए “उत्तर प्रदेश में “भूमि सुधार और कुलक वर्ग”नामक पुस्तक लिखी। चैधरी साहब ने, दो रूपये तक के किसानों के लगान माफ कर दिए तथा साढे छः एकड जोत पर लगान आधा कर दिया। अफसोस इस बात का रहा कि अभिजात्य वर्ग उनका विरोधी तो रहा हीं लेकिन जिनके उत्थान के लिए चैधरी साहब जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहे उन्होनें भी उनका पूरा साथ नहीं दिया।
25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित हुआ, चैधरी साहब जेल गए। जेल से रिहाई के बाद चैधरी चरण सिंह राष्ट्रीय राजनीति में सन् 1977 में जनता पार्टी के गठन के बाद आए तथा गृह वित्त मंत्रालय, उप-प्रधानमंत्री व प्रधानमंत्री बनें। चैधरी साहब गांधी जी की आर्थिक नितियों के प्रबल पक्षधर रहे। आप चाहते थे कि भारत में बेराजगारी की समस्या भयावह है, इसका निदान लघु, कुटीर तथा मझोले उद्योगों को प्रोत्साहन देकर हो सकता है। चैधरी साहब का मानना है कि जो वस्तुएं छोटे उद्योगों में बन सकती हैं उन्हे बडे उद्योगों को बनाने के लिए लाइसेंस न दिया जाए लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले हीं गांधी जी की आर्थिक नीतियों को तिलांजली दे चुके थे, उसी नीती को श्रीमती इंदिरागांधी जी ने आगे बढाने का कार्य किया। इसका दुःस्परिणाम भयंकर हुआ गरीब व अमीर के बीच जबरदस्त खाई बढती गई, करोडों नौजवान बेरोजगार हो रहे हैं, आर्थिक समस्या से देश जूझ रहा है। कई प्रख्यात विदेशी अर्थशास्त्री व अर्थ शास्त्री जे.डी. सेठी ने कहा कि भारत में आर्थिक विचार धारा या तो गांधी जी की थी या चैधरी चरण सिंह की आर्थिक समझ बेजोड़ है जिससे भारत का आर्थिक विकास हो सकता था। चैधरी चरण सिंह ने अपनी बात स्पष्ट करने के लिए “भारत की भयावह आर्थिक स्थित कारण व निदान” नामक पुस्तक लिखी। इसका महत्व इसी बात से लग जाता है कि यह पुस्तक अमेरिका के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हावर्ड में अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम में लगी है। चैधरी चरण सिंह पंडित जवाहर लाल की सामूहिक खेती के सिद्धांत के भी विरोधी थे तथा व्यक्तिगत खेती के पक्षधर रहे। चूंकि चैधरी साहब गांव व किसान परिवार में पैदा हुए तथा विलक्षण प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि तथा सार्वजनिक जीवन में देश व मानव हित में कार्य किया। लेकिन अभिजात्य वर्ग उन्हे पूर्ण समझ नहीं पाया। न उनकी प्रसंशा में जो उन्होने मानव जाति व देश के उत्थान में अपना सम्मूर्ण जीवन अर्पण किया एक शब्द भी नहीं लिख पाए। उसी वर्ग के कारण चैधरी साहब को भारत-रत्न बहुत पहले मिल जाना चाहिए था आज तक न मिलना घटिया सोच को प्रदर्शित करता है, हम श्री मुलायम सिंह यादव का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होनें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते चैधरी चरण सिंह की प्रतिमा विधानसभा के सामने लगवाकर चैधरी चरण सिंह के समर्थकों का गौरव बढाया। हम समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का भी धन्यवाद करते हैं कि जिन्होनें चैधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित कर चैधरी साहब के करोड़ों समर्थकों का सम्मान बढाया।
चैधरी साहब आप हमारे बीच शरीर से नहीं हैं लेकिन आपकी ईमानदारी, नैतिकता सदाचार, शिष्टाचार, आपके द्वारा दिये गये भाषण व लिखे गए लेख, सार्वजनिक जीवन में किये गए कार्य करोडो आपके समर्थकों का मार्ग दर्शन करते रहेंगे। आप को शत् शत् नमन, बंदन। हम आपके बताए मार्ग पर एक भी कदम चल सकें यहीं आपके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी।
लेखकः
रामदुलार यादव
कार्यकारिणी सदस्य
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी