न्यायालय ने कहा कि लालू प्रसाद को दी गई 5 साल की सजा में से 1 साल 2 अलग-अलग चरणों में पूरे हो चुके हैं, जिसमें सुनवाई के दौरान 10 महीने का कारावास और दोषी पाए जाने के बाद से 2 महीने का कारावास शामिल है।
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि लालू प्रसाद को जमानत पर रिहा करने से पहले रांची की निचली अदालत उन पर लगाई जाने वाली शर्तों का फैसला करेगा।चारा घोटाला बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था, जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये। सरकारी खजाने की इस चोरी में अन्य कई लोगों के अलावा बिहार के तत्कालीन मुख्यमन्त्री लालू प्रसाद यादव व पूर्व मुख्यमन्त्री जगन्नाथ मिश्र पर भी आरोप लगा।इस घोटाले के कारण लालू यादव को मुख्यमन्त्री के पद से त्याग पत्र देना पड़ा। लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया और सीबीआई जांच की मांग की गयी। दिग्गज पार्टियों के नेताओं और नौकरशाही की मिली भगत से की गई सरकारी खजाने की इस चोरी की गूंज न सिर्फ़ भारत में, बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन में भी सुनायी दी, जिससे भारत की राजनीति शर्मसार हुई।गौरतलब यह घोटाला 1996 में हुआ थाl लेकिन जैसे-जैसे जांच हुई इसकी पर्तें खुलती गयीं और लालू यादव व जगन्नाथ मिश्र जैसे कई नेता इसमें लिप्त पाये गये। मामला लगभग दो दशक तक चला। मीडिया ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, जिसके चलते सीबीआई और न्यायपालिका अपनी-अपनी कार्रवाई में कोई कोताही नहीं कर पायी।लालू प्रसाद यादव को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया है। चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे।