भंसाली की इस फिल्म में आप पूरी तरह से डूब जाएंगे। शायद ये ही वो चीज है जो भंसाली की ‘रामलीला’ को उनकी दूसरी फिल्म जैसे ‘सांवरिया’ और ‘गुजारिश’ से अलग बनाती है। भंसाली की ‘रामलीला’ शेक्सपीयर की कहानी रोमियो एंड जुलियट का हिंदी अडॉप्शन है इस फिल्म में होली की धूमधाम के बीच राम यानी रनवीर सिंह की नजर लीला यानी दीपिका पादुकोण पर पड़ती है। और दोनों को पहली नजर में प्यार हो जाता है। फिल्म में दोनों का करेक्टर एक जैसा ही दिखाया गया है। दोनों अलग-अलग गुटों से ताल्लुक रखते हैं। इसलिए उनका प्यार पुश्तैनी लड़ाई में फंस जाता है। और परिवार के लिए दोनों को अलग होना पड़ता है।
रामलीला भंसाली की और फिल्मों से बिल्कुल अलग है। इस फिल्म में हंसी मजाक है, कुछ ऐसे सींस हैं जो आपको हंसाने में कामयाब होंगे। फिल्म के कुछ डायलॉग आपको सरप्राइज भी करेंगे। हालांकि इस कहानी की हैप्पी एंडिंग नहीं है। ये फिल्म भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ की तरह बिल्कुल भी नहीं हैं। ये फिल्म एक बेहतरीन लाइट और साउंड इफेक्ट वाले शो की तरह है जिसमें पहले-पहले प्यार का उत्साह है, छिप छिपकर मिलने का दिवानापन है। और दो गुटों के बीच लड़ाई का जूनून भी है। इस फिल्म में गलियों का खूबसूरत इस्तेमाल किया गया है।
रामलीला की सिर्फ एक खराब बात है कि ये हद से ज्यादा लंबी है। इतनी लंबी कि देखते-देखते आपकी सहन शक्ति जवाब दे देगी। फिल्म का दूसरा भाग थोड़ा छोटा हो सकता था। फिल्म में कुछ सींस घिसे-पिटे हैं। फिल्म के दूसरे कलाकारों सुप्रिया पाठक और रिचा चड्ढा ने भी बेहतरीन काम किया है। लेकिन फिल्म में सबसे जबरजस्त एक्टिंग की है लीड एक्टर्स ने उसमें भी खासतौर पर दीपिका ने। दीपिका ने हर सीन में जान डाल दिया है। उनकी अदाकारी ने लीला के किरदार को जीवंत कर दिया है। वहीं रनवीर भी अपने किरदार से पूरा न्याय करते हैं। वो आपको रुलाएंगे भी और हंसाएंगे भी मैं संजय लीला की इस फिल्म को 5 में से साढ़े तीन स्टार देता हूं। ये इस साल की बेहतरीन फिल्म है जो आपके दिल को छू जाएगी।