ज्योतिष में शुक्र का महत्त्व—-

भारतीय वैदिकज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से पति या पत्नी अथवा प्रेमी या प्रेमिका का कारक माना जाता है। कुंडली धारक के दिलसे अर्थात प्रेम संबंधों से जुड़ा कोई भी मामलादेखने के लिए कुंडली में इस ग्रह कीस्थिति देखनाअति आवश्यक हो जाता है। कुंडली धारक के जीवन में पति या पत्नी का सुख देखने के लिए भी कुंडली में शुक्र की स्थिति अवश्यदेखनी चाहिए। शुक्र को सुंदरता की देवी भीकहा जाता है और इसी कारण से सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े अधिकतर क्षेत्रों के कारक शुक्र ही होतेहैं, जैसे कि फैशन जगत तथा इससे जुड़े लोग, सिनेमाजगत तथा इससे जुड़े लोग, रंगमंच तथा इससे जुड़े लोग, चित्रकारी तथा चित्रकार, नृत्य कला तथा नर्तक-नर्तकियां, इत्रतथा इससे संबंधित व्यवसाय, डिजाइनर कपड़ों का व्यवसाय, होटल व्यवसाय तथा अन्य ऐसे व्यवसाय जोसुख-सुविधा तथा ऐश्वर्य से जुड़े हैं।

शुक्र एक नम ग्रहहैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए इन्हें स्त्री ग्रह माना जाता है। शुक्र मीन राशि में स्थित होकर सर्वाधिक बलशालीहो जाते हैं जो बृहस्पति के स्वामित्व में आनेवाली एक जल राशि है। मीन राशि में स्थित शुक्र को उच्च का शुक्र भी कहा जाता है। मीन राशि के अतिरिक्तशुक्र वृष तथा तुला राशि में स्थित होकर भीबलशाली हो जाते हैं जो कि इनकी अपनीराशियां हैं।कुंडली में शुक्र का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बना देता है तथा उसकी इस सुंदरता औरआकर्षण से सम्मोहित होकर लोग उसकी ओर खिंचे चलेआते हैं तथा विशेष रूप से विपरीत लिंगके लोग। शुक्रके प्रबल प्रभाव वाले जातक शेष सभी ग्रहों के जातकों की अपेक्षा अधिक सुंदर होते हैं। शुक्र के प्रबल प्रभाव वालींमहिलाएं अति आकर्षक होती हैं तथा जिस स्थान पर भीये जाती हैं, पुरुषों की लंबी कतार इनके पीछे पड़ जाती है। शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत, सिनेमा जगत तथाऐसे ही अन्यक्षेत्रों में सफल होते हैं जिनमें सफलता पाने के लिए शारीरिक सुंदरता को आवश्यक माना जाता है।

शुक्र शारीरिकसुखों के भी कारक होते हैं तथा संभोग से लेकर हार्दिक प्रेम तक सब विषयों को जानने के लिए कुंडली में शुक्र कीस्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्र काप्रबल प्रभाव जातक को रसिक बना देताहै तथा आम तौरपर ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों को लेकर संवेदनशील होते हैं। शुक्र के जातक सुंदरता और एश्वर्यों का भोग करने में शेष सभीप्रकार के जातकों से आगे होते हैं। शरीर केअंगों में शुक्र जननांगों के कारक होते हैंतथा महिलाओं के शरीर में शुक्र प्रजनन प्रणाली का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तथा महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर किसी बुरे ग्रह काप्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता परविपरीत प्रभाव डाल सकता है।

शुक्र कन्या राशिमें स्थित होने पर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसीबुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्रबलहीन हो जाते हैं। शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों में समस्याएंपैदा कर सकता है। महिलाओं की कुंडली मेंशुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजननप्रणाली को कमजोर कर सकता है तथा उनके ॠतुस्राव, गर्भाशयअथवा अंडाशय पर भी नकारात्मक प्रभाव डालसकता है जिसके कारण उन्हें संतान पैदाकरनें मेंपरेशानियां आ सकतीं हैं।

कुंडली में शुक्रपर अशुभ राहु का विशेष प्रभाव जातक के भीतर शारीरिक वासनाओं को आवश्यकता से अधिक बढ़ा देता है जिसके चलते जातकअपनी बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा पैसा इनवासनाओं को पूरा करने में ही गंवा देता है जिसके कारण उसकी सेहत तथा प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैतथा कुछेक मामलों में तो जातक किसी गुप्त रोगसे पीडि़त भी हो सकता है जो कुंडली केदूसरे ग्रहोंकी स्थिति पर निर्भर करते हुए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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