मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि कंद्रीय बैंक आंख मूंदकर महंगाई से मुकाबला नहीं करेगा। मुद्रास्फीति के पीछे पड़ने के लिए राजन की आलोचना हो रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी ‘उचित केंद्रीय बैंक’ वृद्धि की चिंता छोड़कर सिर्फ महंगाई के पीछे नहीं पड़ेगा।
मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में राजन ने कहा, मैं यह नहीं कहना चाहता कि केंद्रीय बैंक महंगाई के पीछे पागलपन की तरह पड़ा है। उन्होंने कहा कि घरेलू चिंता की वजह से वह सिर्फ महंगाई पर ध्यान कंेद्रित नहीं कर सकते। वृद्धि की भी चिंता है। राजन ने कहा कि किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए महंगाई को उचित स्तर पर लाने के अलावा वृद्धि को भी देखना होता है। वृद्धि आने से महंगाई की ताकत को कम किया जा सकता है।
गत 4 सितंबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभालने के बाद से राजन दो बार रेपो दर में चौथाई-चौथाई फीसद की वृद्धि कर चुके हैं। इससे रेपो दर बढ़कर 7.75 प्रतिशत हो गई है। हालांकि राजन ने स्पष्ट किया कि तत्काल केंद्रीय बैंक की निगाह महंगाई पर अंकुश की है, क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
महंगाई के लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा, रिजर्व बैंक समय-समय पर कह चुका है कि वह महंगाई को लेकर चिंतित है। लेकिन मैं मुद्रास्फीति लक्ष्य नहीं कहना चाहता क्योंकि एक बार यह बोलने पर लोगों का ध्यान सिर्फ महंगाई पर चला जाता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि वह वृद्धि की चिंताओं को जानते हैं। उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब होती है तो 5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान के नीचे जाने का जोखिम है।
महंगाई के खिलाफ रिजर्व बैंक के संघर्ष के बारे में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि हालांकि परंपरागत रूप से केंद्रीय बैंक डब्ल्यूपीआई को संकेतक के रूप में देखता है, लेकिन हम सीपीआई को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह लंबे समय से तेजी से बढ़ रही है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर सात माह के उच्च स्तर 6.46 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 9.84 प्रतिशत पर पर है। (एजेंसी)