हालांकि सरकार के लिए विधेयक पास करवाने की ये कवायद आसान नहीं रही क्योंकि समाजवादी पार्टी विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही थी। मंगलवार को संसद शुरू होने से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और नारायणसामी को अपने घर तलब कर सरकार की रणनीति की जानकारी ली। इसके बाद मुलायम सिंह और रामगोपाल यादव की प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई। इस मुलाकात में समाजवादी पार्टी को विरोध जताने के लिए हंगामा करने के जगह सदन से वॉक आउट करने पर मना लिया गया और लोकपाल विधेयक शांति से पास होने का रास्ता साफ हो गया।
हालांकि लेफ्ट समेत कुछ पार्टियों ने विधेयक के कुछ संशोधनों पर मत विभाजन भी करवाया। लेकिन बीजेपी की रज़ामंदी के चलते वोटिंग भी विधेयक के पक्ष में ही रही। जनलोकपाल पर अन्ना आंदोलन से दबाव में आई सरकार ने दिसंबर 2011 में सदन के मत के तौर पर जिस प्रस्ताव को पास किया था, वो इस सरकारी लोकपाल से गायब है। सदन का मत था निचली नौकरशाही को लोकपाल में शामिल करने का, लोकपाल के तहत राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने का और सिटीजन चार्टर यानी नागरिक संहिता को लोकपाल का हिस्सा बनाने को लेकर था।
लेकिन मौजूदा विधेयक में ना तो सिटीजन चार्टर शामिल है और लोकायुक्त को लोकपाल से अलग कर राज्यों को उसके गठन के लिए एक साल वक्त दे दिया गया है। बहरहाल पिछले 44 सालों से सरकारी फाइलों की धूल फांक रहे लोकपाल कानून का रास्ता साफ हो गया है।
वही दूसरी तरफ अन्ना के पूर्व सहयोगी आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविन्द केजरीवाल मूल स्वरुप में हुए परिवर्तन का विरोध करते रहे है।