भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने टिकट नहीं मिलने के लिए पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि दोनों मेरे साथ धोखा किया है।
बाड़मेर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने ही वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री पद और राजनाथ सिंह को भाजपा अध्यक्ष बनाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि वह 9 बार बाड़मेर से लोकसभा सदस्य रहे हैं और वह इस बार भी यानी 10वीं बार भी यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। आडवाणी ने इसके लिए मुझे आश्वस्त भी किया था।
उन्होंने कहा कि बदले में टिकट उस व्यक्ति को दिया गया जो कांग्रेस छोड़कर महज चंद दिनों पहले भाजपा ज्वाइन किया था।
पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने सोमवार को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बाड़मेर लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
बाड़मेर के जिला कलेक्टर एवं निर्वाचन अधिकारी भानु प्रकाश एटेरू ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जसवंत सिंह ने नांमाकन पत्र के तीन सेट पेश किये हैं। उनके साथ चार समर्थक भी नामांकन पत्र दाखिल करने के वक्त मौजूद थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और दार्जिलिंग सीट से सांसद 76 वर्षीय जसवंत सिंह इस बात से विचलित थे कि कांग्रेस छोड़कर पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद कर्नल सोना राम को बाड़मेर संसदीय सीट से टिकट दिया गया है। सिंह ने भाजपा आलाकमान से अपने घर (बाड़मेर) से लोकसभा का अन्तिम चुनाव लडने का अनुरोध करते हुए टिकट मांगा था, बावजूद इसके टिकट नहीं मिलने पर सिंह ने आज निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। एक तरफ जसवंत नाराज हैं, तो उनकी नाराजगी से पैदा हुए हालात से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अपने तरीके से निपटने में लगी हुईं है। रविवार को वसुंधरा ने बाड़मेर के सभी 8 विधायकों को जयपुर मिलने के लिए बुलाया था। माना जा रहा था कि ये मुलाकात जसवंत सिंह की नाराजगी को लेकर ही रखी गई थी। मुलाकात के बाद जिस तरह से बीजेपी नेताओं ने पार्टी के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता दिखाई। उससे साफ है कि वसुंधरा ने जसवंत की नाराजगी के बाद के हालात को संभालने की जो कोशिश की, वो सफल रही।