मिडिया में खबर आने के बाद मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था.. जिसके बाद कल यानी गुरुवार को जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी ने जेल का दौरा किया था.. मेरठ जेल के अधीक्षक एस.एन. रिजवी मामले की विभागीय जांच के लिए डासना जेल पहुचे थे.. मजिस्ट्रियल जांच की ज़िम्मेदारी ट्रेनी आईएएस एसडीएम कुनाल सिल्कू को सौपी गयी थी.. हैरत की बात ये है की जहाँ मामूली से मामलो की जांच भी महीनो पेंडिंग पड़ी रहती है, वहीँ इस गंभीर मामले की मजिस्ट्रियल जांच महज़ कुछ घंटो में ही निबटा दी गयी और इस जांच में डिप्टी जेलर सहित तमाम आरोपियों को बेगुनाह भी करार दे दिया गया..
कुनाल सिल्कू / जांच अधिकारी (एसडीएम सदर)
सभी को निर्दोष मानते है.. उनका कहना है की करण ने ये आरोप यूँ ही लगा दिए थे.. जांच में पाया गया कि करण जब कोर्ट से तारीख़ के बाद वापस लौटा
था तो उसके कब्ज़े से ब्लेड मिली थी जिसे साथी बंदियों ने छीनकर जेल प्रशासन को सौप दिया था.. इसी बात का बदला करण ने लिया.. अब सवाल ये है की बंदियों की करतूत का बदला करण ने डिप्टी जेलर से क्यों लिया..? इस सवाल का कोई माकूल जवाब जांच अधिकारी के पास भी नही है.. सुनिए क्या कहते हैं जांच अधिकारी.मजिस्ट्रियल जांच का ज़िम्मा सँभालने वाले एसडीएम सदर कुनाल सिल्कू का कहना है कि जांच के दौरान राजेन्द्र चौधरी और जिलाधिकारी की मौजूदगी में दर्ज किये गये बयान में करण ने डिप्टी जेलर के खिलाफ ऐसे किसी भी आरोप से इंकार किया है…
इस मामले की मजिस्ट्रियल जांच तो पूरी हो गयी है, लेकिन विभागीय जांच अभी जारी है