श्रीनगर ,एजेंसी। मुख्यमंत्री के सलाहकार तनवीर सादिक़ ने बीबीसी को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने के लिए लोगों के अनुरोध पर यह क़दम उठाया गया है.
उन्होंने कहा, “सरकार पहले से ही इस पर विचार कर रही थी. सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद यह पाया गया कि सुरक्षा के हालात बेहतर हुए हैं और टेक्स्ट मैसेज भेजने पर लगी पाबंदी को जारी रखने की कोई ज़रूरत नहीं थी.”
क्यों थी रोक ?
एअरसेल कंपनी के प्रवक्ता यासिर अराफ़ात, के मुताबिक “इससे हमें काफ़ी नुकसान हो रहा था क्योंकि क्योंकि टेक्स्ट मैसेज से आय में आसान बढ़ोत्तरी होती है. हम राहत महसूस कर रहे हैं.”
साल 2010 के दिसंबर में कश्मीर घाटी में हुए ज़ोरदार विरोध प्रदर्शनों के बाद सभी प्रीपेड मोबाइल कार्ड की एसएमएस सेवा को निलंबित कर दिया गया था.
यह क़दम क्लिक करें अलगाववाद के पक्ष के चल रहे अभियान को हतोत्साहित करने के लिए उठाया गया था.
पुलिस अधिकारियों का मानना था कि अलगाववादी लोगों को ग्रुप एसएमएस भेजकर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के लिए उकसा सकते हैं.
इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ विपक्ष की नेता महबूबा मुफ़्ती ने प्रदर्शन किया था. नागरिक अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले कई संगठनों ने इसे अदालत में चुनौती दी थी.
सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड ने राज्य मानवाधिकार आयोग से कहा था, “राज्य में प्रीपेड मोबाइल सेवा के ग्राहकों के फ़ोन पर एसएमएस सेवा पर रोक लगाने का निर्देश क्लिक करें जम्मू-कश्मीर सरकार के गृह मंत्रालय ने दिया था.”