हाथों की उंगुलियां सरलता से मिलने पर जिसके हाथ में छिद्र नहीं रहता तो वह वह व्यक्ति अत्यंत भाग्यवान एवं सुखी होता है। छिद्रवान हाथ दरिद्रता का उपकारक है। तर्जनी एवं मध्यमा के मध्य में छेद न हो तो बाल्य अवस्था में सुखी होता है। मध्यमा एवं अनामिका में मध्य में छेद न हो तो युवावस्था में सुखी तथा अनामिका एवं कनिष्ठिका के मध्य छेद न होने पर वृदवस्था मे सुखी होता है।
हाथ की हथेली के रंग लाल होने पर व्यक्ति धनी होता है। पीत वर्ण होने पर धन की कमी होती है। यदि कराग्र भाग नीलवर्ण हो तो मध्यसेवी एवं दुखी जातक होता है। जिसके हाथ का मध्य भाग उन्नत हो तो वह परोपकारी होता है। करतल का मध्य भाग निम्न होने पर व्यक्ति पितृ धन से हीन होता है।
शंख – शंख चिन्ह हथेली पर होने पर व्यक्ति समुद्र पर की यात्राएं करता है। विदेश गमन के व्यापार से धन कमाता है। धार्मिक विचारों वाला होता है।
स्वास्तिक – स्वास्तिक चिन्ह वाला व्यक्ति धनी, प्रतिष्ठित, धार्मिक यात्राएं करने वाला एवं वैभव सम्पन्न होता है।
त्रिकोण – भूमिपति, धनी एवं प्रतिष्ठित होता है।
छत्र – जिसके हाथ में छत्र का चिन्ह होता है वह राजा या राजा के समान होता है।
पद्म – धार्मिक, विजयी, राजा या राज वैभव सम्पन्न एवं शाक्तिशाली होता है।
चक्र – जिसके हाथ में चक्र के चिन्ह हो वह धनवान, वैभवशाली, सुंदर एवं ऐश्वर्यशाली होता है।
मछली – जिसके हाथ में दो मछलियों के चिन्ह हों, वह यज्ञकर्ता होता है।
कलश –जिसके हाथ में कलश का चिन्ह हो वह धर्म स्थानों की यात्रा करने वाला, विजयी एवं देव मंदिर का निर्माता होता है।
तलवार – जिसके हाथ में तलवार का चिन्ह हो वह भाग्यवान एवं राजाओं से सम्मानित होता है।
ध्वज – जिसके हाथ में ध्वज का निशान हो वह धार्मिक, कुलदीपक, यशस्वी एवं प्रतापी होता है।